गुग्गुल या ‘गुग्गल’ एक वृक्ष है। इससे प्राप्त राल जैसे पदार्थ को भी ‘गुग्गल’ कहा जाता है। भारत में इस जाति के दो प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। एक को कॉमिफ़ोरा मुकुल (Commiphora mukul) तथा दूसरे को कॉ. रॉक्सबर्घाई (C. roxburghii) कहते हैं। अफ्रीका में पाई जानेवाली प्रजाति कॉमिफ़ोरा अफ्रिकाना (C. africana) कहलाती है।
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कुसुम (Carthamus tinctorius एल) एक अत्यधिक branched, घास, थीस्ल की तरह वार्षिक संयंत्र है।
कदम्ब का अधुनातन वानस्पतिक नाम है- रूबियेसी कदम्बा। उसका पुराना नाम था नॉक्लिया कदम्बा। इसे रूबियेसी परिवार से संबंधित माना जाता है।
खिरनी या माइमोसॉप्स हेक्जैंड्रा (Mimosops hexandra) ४०-५० फुट ऊँचा घना वृक्ष है, जो उत्तरी भारत में स्वत: उगता है, अथवा उगाया जाता है। इसमें पीले छोटे फल लगते हैं, जो खाने में काफी मीठे और स्वादिष्ठ होते हैं। वृक्ष की छाल औषधि के कार्य में आती है। बीज से तेल निकाला जाता है। इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है।
सापीन्दूस् मूकोरोस्सी के जंगली पेड़ हिमालय के क्षेत्र में अधिक पाये जाते जाते हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत में तथा आसाम आदि में लगाये हुए पेड़ बाग-बगीचों में या गांवों के आसपास पाये जाते हैं।
पुत्रजीव (वानस्पतिक नाम : Putranjiva Roxburghii)[1] एक औषधीय पादप है। संस्कृत में इसे पुत्रंजीव, गर्भकर, कुमारजीव आदि नामों से जाना जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप, जापान, दक्षिणी चीन, न्यू गिनिया आदि का देशज है।