नागदौने की जड कंद के रूप में नीचे की ओर जाती है । वैद्यक में नागदौना चरपरा, कडुआ, हलका, त्रिदोषनाशक, कोठे को शुद्ध करनेवाला, विषनाशक तथा सूजन, प्रमेह और ज्वर को दूर करनेवाला माना जाता है
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गूलर (Ficus racemosa) फिकस कुल (Ficus) का एक विशाल वृक्ष है। इसे संस्कृत में उडुम्बर, बांग्ला में डुमुर, मराठी में उदुम्बर, गुजराती में उम्बरा, अरबी में जमीझ, फारसी में अंजीरे आदमसकी शाखाओं में से फल उत्पन्न होते हैं। फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है। इसके पत्ते लभेड़े के पत्तों जैसे होते हैं। नदी के उदुम्बर के पत्ते और फूल गूलर के पत्तों-फल से छोटे होते हैं।
बॉहिनिया प्रजाति की वनस्पतियों में पत्र का अग्रभाग मध्य में इस तरह कटा या दबा हुआ होता है मानों दो पत्र जुड़े हुए हों। इसीलिए कचनार को युग्मपत्र भी कहा गया है।
यह पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान है। हरे रंग के डंठल वाले इस पौधे को सोमवल्ली लता भी कहा जाता है।
खिरनी या माइमोसॉप्स हेक्जैंड्रा (Mimosops hexandra) ४०-५० फुट ऊँचा घना वृक्ष है, जो उत्तरी भारत में स्वत: उगता है, अथवा उगाया जाता है। इसमें पीले छोटे फल लगते हैं, जो खाने में काफी मीठे और स्वादिष्ठ होते हैं। वृक्ष की छाल औषधि के कार्य में आती है। बीज से तेल निकाला जाता है। इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है।