पत्थरचट्टा एक प्रकार का पौधा होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई औषधीय गुण होते हैं और ये किड़नी में पथरी की समस्या को खत्म करने में बेहद कारगर होता है।
पत्थर चट्टा
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पत्थरचट्टा एक प्रकार का पौधा होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई औषधीय गुण होते हैं और ये किड़नी में पथरी की समस्या को खत्म करने में बेहद कारगर होता है।
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बहेड़ा या बिभीतकी (Terminalia bellirica) के पेड़ बहुत ऊंचे, फैले हुए और लंबे होते हैं। इसके पेड़ 18 से 30 मीटर तक ऊंचे होते हैं जिसकी छाल लगभग 2 सेंटीमीटर मोटी होती है। इसके पेड़ पहाडों और ऊंची भूमि में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
गूलर (Ficus racemosa) फिकस कुल (Ficus) का एक विशाल वृक्ष है। इसे संस्कृत में उडुम्बर, बांग्ला में डुमुर, मराठी में उदुम्बर, गुजराती में उम्बरा, अरबी में जमीझ, फारसी में अंजीरे आदमसकी शाखाओं में से फल उत्पन्न होते हैं। फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है। इसके पत्ते लभेड़े के पत्तों जैसे होते हैं। नदी के उदुम्बर के पत्ते और फूल गूलर के पत्तों-फल से छोटे होते हैं।
यह पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान है। हरे रंग के डंठल वाले इस पौधे को सोमवल्ली लता भी कहा जाता है।
हिमालयन क्षेत्र में मिलने वाला दुर्लभ कमीला यानी सिंदूर का पौधा अब मैदानी क्षेत्रों में भी उगाया जाने लगा है।
सापीन्दूस् मूकोरोस्सी के जंगली पेड़ हिमालय के क्षेत्र में अधिक पाये जाते जाते हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत में तथा आसाम आदि में लगाये हुए पेड़ बाग-बगीचों में या गांवों के आसपास पाये जाते हैं।