पत्थरचट्टा एक प्रकार का पौधा होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई औषधीय गुण होते हैं और ये किड़नी में पथरी की समस्या को खत्म करने में बेहद कारगर होता है।
पत्थर चट्टा
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पत्थरचट्टा एक प्रकार का पौधा होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई औषधीय गुण होते हैं और ये किड़नी में पथरी की समस्या को खत्म करने में बेहद कारगर होता है।
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जंगल जलेबी या गंगा जलेबी या किकर (राजस्थान) (वानस्पतिक नाम: Pithecellobium ) एक सपुष्पी पादप है। यह मटर के प्रजाति का है। इसका फल सफ़ेद और पूर्णतः पक जाने पर लाल हो जाता है खाने में मीठा होता है।
सापीन्दूस् मूकोरोस्सी के जंगली पेड़ हिमालय के क्षेत्र में अधिक पाये जाते जाते हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत में तथा आसाम आदि में लगाये हुए पेड़ बाग-बगीचों में या गांवों के आसपास पाये जाते हैं।
खिरनी या माइमोसॉप्स हेक्जैंड्रा (Mimosops hexandra) ४०-५० फुट ऊँचा घना वृक्ष है, जो उत्तरी भारत में स्वत: उगता है, अथवा उगाया जाता है। इसमें पीले छोटे फल लगते हैं, जो खाने में काफी मीठे और स्वादिष्ठ होते हैं। वृक्ष की छाल औषधि के कार्य में आती है। बीज से तेल निकाला जाता है। इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है।
हिमालयन क्षेत्र में मिलने वाला दुर्लभ कमीला यानी सिंदूर का पौधा अब मैदानी क्षेत्रों में भी उगाया जाने लगा है।
बॉहिनिया प्रजाति की वनस्पतियों में पत्र का अग्रभाग मध्य में इस तरह कटा या दबा हुआ होता है मानों दो पत्र जुड़े हुए हों। इसीलिए कचनार को युग्मपत्र भी कहा गया है।