पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलो के कारण इसे “जंगल की आग” भी कहा जाता है। पलाश का फूल उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प है और इसको ‘भारतीय डाकतार विभाग’ द्वारा डाक टिकट पर प्रकाशित कर सम्मानित किया जा चुका है।प्राचीन काल से ही होली के रंग इसके फूलो से तैयार किये जाते रहे है। भारत भर मे इसे जाना जाता है। एक “लता पलाश” भी होता है। लता पलाश दो प्रकार का होता है। एक तो लाल पुष्पो वाला और दूसरा सफेद पुष्पो वाला। लाल फूलो वाले पलाश का वैज्ञानिक नाम ” ब्यूटिया मोनोस्पर्मा ” है। सफेद पुष्पो वाले लता पलाश को औषधीय दृष्टिकोण से अधिक उपयोगी माना जाता है। वैज्ञानिक दस्तावेजो मे दोनो ही प्रकार के लता पलाश का वर्णन मिलता है। सफेद फूलो वाले लता पलाश का वैज्ञानिक नाम ” ब्यूटिया पार्वीफ्लोरा ” है जबकि लाल फूलो वाले को ” ब्यूटिया सुपरबा ” कहा जाता है। एक पीले पुष्पों वाला पलाश भी होता है।
पलाश
₹50.00
पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलो के कारण इसे “जंगल की आग” भी कहा जाता है
Related products
पत्थरचट्टा एक प्रकार का पौधा होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई औषधीय गुण होते हैं और ये किड़नी में पथरी की समस्या को खत्म करने में बेहद कारगर होता है।
कदम्ब का अधुनातन वानस्पतिक नाम है- रूबियेसी कदम्बा। उसका पुराना नाम था नॉक्लिया कदम्बा। इसे रूबियेसी परिवार से संबंधित माना जाता है।
कनक चंपा (वैज्ञानिक नाम : Pterospermum acerifolium) माध्यम ऊँचाई का एक वृक्ष है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जता है।
हिमालयन क्षेत्र में मिलने वाला दुर्लभ कमीला यानी सिंदूर का पौधा अब मैदानी क्षेत्रों में भी उगाया जाने लगा है।
इस पेड़ की ऊँचाई 18 से लेकर 20 मीटर तक होती है। यह परोपजीवी पेड़, सैंटेलेसी कुल का सैंटेलम ऐल्बम लिन्न (Santalum album linn.) है।