कचनार एक सुंदर फूलों वाला वृक्ष है। कचनार के छोटे अथवा मध्यम ऊँचाई के वृक्ष भारतवर्ष में सर्वत्र होते हैं। लेग्यूमिनोसी (Leguminosae) कुल और सीज़लपिनिआयडी (Caesalpinioideae) उपकुल के अंतर्गत बॉहिनिया प्रजाति की समान, परंतु किंचित् भिन्न, दो वृक्षजातियों को यह नाम दिया जाता है, जिन्हें बॉहिनिया वैरीगेटा (Bauhinia variegata) और बॉहिनिया परप्यूरिया (Bauhinia purpurea) कहते हैं। बॉहिनिया प्रजाति की वनस्पतियों में पत्र का अग्रभाग मध्य में इस तरह कटा या दबा हुआ होता है मानों दो पत्र जुड़े हुए हों। इसीलिए कचनार को युग्मपत्र भी कहा गया है।
कचनार
₹50.00
बॉहिनिया प्रजाति की वनस्पतियों में पत्र का अग्रभाग मध्य में इस तरह कटा या दबा हुआ होता है मानों दो पत्र जुड़े हुए हों। इसीलिए कचनार को युग्मपत्र भी कहा गया है।
Related products
हिमालयन क्षेत्र में मिलने वाला दुर्लभ कमीला यानी सिंदूर का पौधा अब मैदानी क्षेत्रों में भी उगाया जाने लगा है।
इस पेड़ की ऊँचाई 18 से लेकर 20 मीटर तक होती है। यह परोपजीवी पेड़, सैंटेलेसी कुल का सैंटेलम ऐल्बम लिन्न (Santalum album linn.) है।
महोगनी जीनस स्वेतेनिया की उष्णकटिबंधीय दृढ़ लकड़ी प्रजातियों की एक सीधे-दानेदार, लाल-भूरे रंग की इमारती लकड़ी है|
हिरडा (इंग्लिश: Myrobalans; लॅटिन: Terminalia chebula) ही दक्षिण आशिया, आग्नेय आशिया व नैऋत्य चिनाच्या जनता-प्रजासत्ताकातील युइन्नान प्रांत या प्रदेशांत उगवणारी एक औषधी वनस्पती आहे. हिरडा स्वास्थ्यसंवर्धक आणि रोगनाशक आहे. औषधात व आरोग्य वाढविणार्या द्रव्यात याचे स्थान महत्त्वाचे आहे. लोक कथेनुसार एकदा इंद्र अमृत पीत असतांना त्यातील काही थेंब पृथ्वीवर सांडले. ते थेंब जेथे सांडले तेथे (त्या थेंबातून) हिरड्याची उत्पत्ती झाली. समुद्र सपाटीपासून २ हजार मी. उंची पर्यंतच्या जमिनीत हिरड्याची झाडे भारतात सर्वत्र आढळतात.