पुत्रजीव (वानस्पतिक नाम : Putranjiva Roxburghii)[1] एक औषधीय पादप है। संस्कृत में इसे पुत्रंजीव, गर्भकर, कुमारजीव आदि नामों से जाना जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप, जापान, दक्षिणी चीन, न्यू गिनिया आदि का देशज है।
पुत्रजीवक
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पुत्रजीव (वानस्पतिक नाम : Putranjiva Roxburghii)[1] एक औषधीय पादप है। संस्कृत में इसे पुत्रंजीव, गर्भकर, कुमारजीव आदि नामों से जाना जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप, जापान, दक्षिणी चीन, न्यू गिनिया आदि का देशज है।
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हिरडा (इंग्लिश: Myrobalans; लॅटिन: Terminalia chebula) ही दक्षिण आशिया, आग्नेय आशिया व नैऋत्य चिनाच्या जनता-प्रजासत्ताकातील युइन्नान प्रांत या प्रदेशांत उगवणारी एक औषधी वनस्पती आहे. हिरडा स्वास्थ्यसंवर्धक आणि रोगनाशक आहे. औषधात व आरोग्य वाढविणार्या द्रव्यात याचे स्थान महत्त्वाचे आहे. लोक कथेनुसार एकदा इंद्र अमृत पीत असतांना त्यातील काही थेंब पृथ्वीवर सांडले. ते थेंब जेथे सांडले तेथे (त्या थेंबातून) हिरड्याची उत्पत्ती झाली. समुद्र सपाटीपासून २ हजार मी. उंची पर्यंतच्या जमिनीत हिरड्याची झाडे भारतात सर्वत्र आढळतात.
इसके फल लाल से भूरे रंग के होते हैं, तथा स्वाद में बहुत खट्टे होते हैं।
सापीन्दूस् मूकोरोस्सी के जंगली पेड़ हिमालय के क्षेत्र में अधिक पाये जाते जाते हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत में तथा आसाम आदि में लगाये हुए पेड़ बाग-बगीचों में या गांवों के आसपास पाये जाते हैं।
बॉहिनिया प्रजाति की वनस्पतियों में पत्र का अग्रभाग मध्य में इस तरह कटा या दबा हुआ होता है मानों दो पत्र जुड़े हुए हों। इसीलिए कचनार को युग्मपत्र भी कहा गया है।
बहेड़ा या बिभीतकी (Terminalia bellirica) के पेड़ बहुत ऊंचे, फैले हुए और लंबे होते हैं। इसके पेड़ 18 से 30 मीटर तक ऊंचे होते हैं जिसकी छाल लगभग 2 सेंटीमीटर मोटी होती है। इसके पेड़ पहाडों और ऊंची भूमि में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।